रायपुर(Raipur)के सिलियारी स्थित रियल बोर्ड पेपर मिल में लाखों स्कूल की किताबें रद्दी के भाव में बेची जा रही हैं। ये किताबें सरकारी दावों के विपरीत, छात्रों को मुफ्त में वितरण के लिए खरीदी गई थीं, लेकिन अब कबाड़ में फेंकी जा रही हैं।आज मैंने रायपुर के बिंदा सोनकर स्कूल का दौरा किया और पाया कि बच्चों के पास किताबें नहीं हैं। सरकारी दावे कि कक्षा 1 से 10 तक मुफ्त किताबें दी जा रही हैं, पूरी तरह से गलत हैं। बच्चों को किताबें न मिल पाने के कारण, वे फोटो कॉपी करके पढ़ाई कर रहे हैं। कई छात्रों और उनके माता-पिता ने बताया कि सत्र का आधा हिस्सा समाप्त हो चुका है, और फिर भी उन्हें किताबें नहीं मिली हैं।अगर रायपुर जैसे बड़े शहर में यह हाल है, तो ग्रामीण इलाकों और आदिवासी क्षेत्रों में क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।सरकार की इस लापरवाही और भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल उठते हैं। हमें तुरंत कार्रवाई की जरूरत है।