रायपुर: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए लोहारीडीह गांव में हुई घटनाओं को लेकर चिंता जताई। तीन हत्या की घटनाएं और पुलिस की मारपीट में प्रशांत साहू की मौत ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं से मानवता शर्मसार हुई है, खासकर जेल में बंद कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार के कारण। कैदी ठीक से बैठ या चल भी नहीं पा रहे हैं, और महिलाओं के साथ भी जेल में बुरा बर्ताव हो रहा है।
भूपेश बघेल ने बताया कि कांग्रेस ने प्रदेश में बंद का आवाहन किया था, जो सफल रहा। इसका मुख्य उद्देश्य जनता और सरकार को संदेश देना था। इसके परिणामस्वरूप एसपी, कलेक्टर, डीएसपी को हटाया गया और रेंगाखार थाना के पूरे स्टाफ को बदल दिया गया। सरकार पहले इस घटना को आत्महत्या का मामला बता रही थी, लेकिन अब उन्होंने इसे अपनी नाकामी स्वीकार कर ली है।
बघेल ने कहा कि उन्होंने कवर्धा जेल में जाकर लोहाराडीह के लोगों से मिलने की कोशिश की, लेकिन उन्हें और कांग्रेस के अन्य विधायकों को अनुमति नहीं दी गई। उनका कहना है कि विधायकों का यह दायित्व होता है कि वे अपने क्षेत्र के लोगों से मिलें और उनकी समस्याएं सुनें, लेकिन प्रशासन ने उन्हें रोका।
उन्होंने यह भी बताया कि कचरू साहू उर्फ शिवप्रसाद साहू के पांच बच्चे हैं, जिनमें दो लड़कियां 9वीं और 6वीं कक्षा में पढ़ रही हैं और एक छोटा बच्चा गोद में है। उनकी पत्नी भी जेल में बंद है, और बच्चों की कोई देखभाल की व्यवस्था नहीं है। बघेल ने मांग की कि जिस तरह पूर्व में भाजपा के लोग 50-50 लाख मुआवजे की मांग करते थे, उसी प्रकार इन पीड़ित परिवारों को भी 50-50 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और पूरे मामले की न्यायिक जांच करवाई जाए।