रायपुर(Raipur)छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन अस्पतालों में फायर सेफ्टी का मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया कि प्रदेश में फायर सेफ्टी सिस्टम का ऑडिट जारी है और हर जिले में जांच के लिए कमेटियां गठित की गई हैं।
सत्र की शुरुआत में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल के एक साल पूरे होने पर सदस्यों ने उन्हें बधाई दी। इसके बाद, भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह ने प्रदेश के सरकारी और निजी अस्पतालों में फायर सेफ्टी की स्थिति पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि प्रदेश में कुल कितने अस्पताल हैं, फायर सेफ्टी के प्रावधान क्या हैं, और फायर सेफ्टी सिस्टम का ऑडिट कब किया गया है। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि जिन अस्पतालों में यह सिस्टम अपडेट नहीं है, उन पर क्या कार्रवाई की गई है।
जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि प्रदेश में 1129 निजी अस्पताल हैं, जबकि सरकारी अस्पतालों के पंजीकरण की कोई व्यवस्था नहीं है। उन्होंने कहा कि 29 नवंबर 2022 की अधिसूचना के अनुसार, 30 या अधिक बिस्तरों वाले और क्रिटिकल केयर यूनिट वाले अस्पतालों को फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है। जिन अस्पतालों में यह व्यवस्था नहीं है, उनके लाइसेंस रद्द करने और जुर्माने का प्रावधान है।
वहीं, भाजपा विधायक राजेश मूणत ने अधूरे पड़े ‘हमर क्लिनिक’ का मुद्दा उठाया। इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि ‘हमर अस्पताल, हमर क्लिनिक’ योजना के लिए 15वें वित्त आयोग से 38 करोड़ रुपये मिले थे, लेकिन वित्त विभाग की देरी के कारण यह राशि समय पर जारी नहीं हो सकी। इसके लिए जुर्माना भी लगाया गया है, जो भुगतान होने के बाद ही अगली किस्त जारी होगी।
मंत्री ने यह भी बताया कि हमर क्लिनिक में पांच मानव संसाधन की व्यवस्था होती है और जहां पूरा सेटअप तैयार है, वहां क्लिनिक को संचालित किया जा रहा है। इस बार बजट में इसके लिए विशेष प्रावधान किया गया है।
संवाददाता – बीना बाघ