छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों नक्सलवाद को लेकर गरमा-गरमी बढ़ गई है, खासकर नारायणपुर और दंतेवाड़ा जिले की सीमा पर हुए अब तक के सबसे बड़े नक्सल एनकाउंटर के बाद। इस मुठभेड़ ने प्रदेश की सियासत में उबाल ला दिया है, जहां कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इसे अपनी-अपनी सरकार की उपलब्धि के रूप में पेश कर रही हैं। कांग्रेस का कहना है कि उनके कार्यकाल में उठाए गए कदमों का यह नतीजा है, जबकि भाजपा इसे अपनी मौजूदा 10 महीने की सरकार की इच्छाशक्ति और नीतियों का परिणाम बता रही है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने इस मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने नक्सलवाद के खिलाफ इस कार्रवाई को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि जब सरकार की इच्छाशक्ति मजबूत होती है, तो कुछ भी संभव है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की तारीफ करते हुए कहा कि इनकी मजबूत इच्छाशक्ति से ही प्रदेश में नक्सलवाद को समाप्त करने की दिशा में बड़ी सफलता हासिल हो रही है। उन्होंने इस कार्रवाई में शामिल पुलिस और सुरक्षा बलों की भी सराहना की और जवानों की बहादुरी के लिए उन्हें बधाई दी।
साथ ही, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान पर तीखा पलटवार करते हुए रमन सिंह ने कहा कि बघेल ने अपने 5 साल के कार्यकाल में नक्सलियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उन्होंने आरोप लगाया कि बघेल सरकार के दौरान नक्सलवाद पर नियंत्रण पाने के प्रयास न के बराबर थे। रमन सिंह ने कहा कि आज जो पुल और सड़कें बन रही हैं, वे जवानों के खून-पसीने और उनकी शहादत की बदौलत संभव हो पाई हैं।
इस बयान के साथ छत्तीसगढ़ की राजनीति में नक्सलवाद को लेकर बयानबाजी और तेज हो गई है। दोनों पार्टियां इसे अपनी-अपनी उपलब्धि के रूप में देख रही हैं, जबकि नक्सल समस्या को जड़ से खत्म करने की चुनौती अभी भी प्रदेश के सामने बनी हुई है।