मुंगेली. छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले से एक बेहद चौंकाने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें स्कूली बच्चे ट्यूब के सहारे एक नदी को पार कर रहे हैं। यह दृश्य नुनियाकछार और गितपुरी गांवों के बीच स्थित आगर नदी का है, जहां पुल का निर्माण न होने के कारण बच्चों को अपनी जान जोखिम में डालकर इस तरह से स्कूल जाना पड़ रहा है। वीडियो में बच्चे सरकार से पुल निर्माण की मांग करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस घटना ने ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
रोजाना जोखिम भरा सफर
नुनियाकछार और गितपुरी गांवों के बीच पुल की कमी के कारण बच्चे प्रतिदिन खतरनाक रास्ते से गुजरकर शिक्षा प्राप्त करने के लिए मजबूर हैं। नदी पार करने के लिए वे एक ट्यूब का सहारा लेते हैं, जो उनके जीवन के लिए जोखिम भरा है। इस खतरनाक स्थिति ने लोगों के दिलों को झकझोर कर रख दिया है, और यह वीडियो सरकार की अनदेखी का प्रतीक बन गया है।
उपमुख्यमंत्री और केंद्रीय राज्य मंत्री का क्षेत्र
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह घटना किसी दूर-दराज के वनांचल क्षेत्र की नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के मौजूदा उपमुख्यमंत्री अरुण साव, केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू, और वरिष्ठ राजनेता पुन्नूलाल मोहले के गृह जिले की है। इन नेताओं के क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की इतनी बड़ी कमी होने से यह सवाल उठता है कि विकास की योजनाएं वास्तविकता में कितनी कारगर हो रही हैं। यह वीडियो इलाके की स्थिति को उजागर करता है और क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की गंभीर कमी को दर्शाता है।
डीईओ का बयान
इस घटना पर जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) सीके धृतलहरे ने कहा कि उन्हें भी यह वीडियो प्राप्त हुआ था, लेकिन उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि यह मुंगेली जिले का है। हालांकि, उन्होंने इस समस्या का संज्ञान लिया है और कहा कि वे इस मुद्दे को सुलझाने के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र भेजेंगे।
समस्या की ओर ध्यानाकर्षण
यह मामला राज्य के शिक्षा और बुनियादी ढांचे की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। बच्चों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए जान जोखिम में डालना एक गहरी समस्या की ओर इशारा करता है। यह वीडियो प्रशासन और सरकार के लिए एक चेतावनी है कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी को तत्काल दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
इस घटना ने न केवल मुंगेली जिले बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना दिया है, और उम्मीद है कि सरकार जल्द ही इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी ताकि बच्चों को सुरक्षित रूप से शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिल सके।