नई दिल्ली में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वामपंथी उग्रवाद (LWE) पर समीक्षा बैठक की, जिसमें छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और तेलंगाना के मुख्यमंत्री, बिहार के उपमुख्यमंत्री, और आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री उपस्थित थे। इस बैठक में केन्द्र और राज्य सरकारों के शीर्ष अधिकारी भी शामिल थे। बैठक का उद्देश्य वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए विकास योजनाओं और सुरक्षा प्रयासों की समीक्षा करना था।
शाह ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य है। नक्सलवाद को समाप्त करना जरूरी है ताकि आदिवासी क्षेत्रों में विकास की रफ्तार तेज हो सके। नक्सलवाद आदिवासी समुदाय के 8 करोड़ से अधिक लोगों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित करता है, जिससे यह मानवाधिकार का सबसे बड़ा हनन बन जाता है।
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में इस साल अब तक 237 नक्सली मारे गए हैं, 812 गिरफ्तार किए गए हैं, और 723 ने आत्मसमर्पण किया है। साथ ही, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ज़ीरो टॉलरेंस की नीति के तहत काम किया जा रहा है और सभी सरकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन किया जा रहा है ताकि वहां के लोगों तक विकास पहुंच सके।
मोदी सरकार की 3-C रणनीति शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने 3-C रणनीति—सड़क कनेक्टिविटी, मोबाइल कनेक्टिविटी और वित्तीय समावेशन—पर जोर दिया है। इसके तहत LWE-प्रभावित राज्यों में सुरक्षा खर्च को तीन गुना बढ़ाकर ₹3,006 करोड़ कर दिया गया है। साथ ही, मोदी सरकार ने 544 फोर्टीफाइड पुलिस स्टेशन बनाए हैं, जबकि 2004 से 2014 के बीच सिर्फ 66 ऐसे स्टेशन बने थे।
उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में नक्सलवाद से जुड़े हिंसक घटनाओं में 53% की कमी आई है। उन्होंने राज्यों के मुख्यमंत्रियों और पुलिस प्रमुखों से अनुरोध किया कि वे नियमित रूप से विकास कार्यों और नक्सलविरोधी अभियानों की समीक्षा करें। अमित शाह ने कहा कि सुरक्षा बलों की तैनाती और नक्सली ठिकानों पर हमले के साथ-साथ नक्सलियों के वित्तीय स्रोतों पर भी कड़ी कार्रवाई की जा रही है। इस तरह के ठोस प्रयासों से नक्सलवाद पर निर्णायक प्रहार संभव हो पाएगा।