रायपुर। राजधानी रायपुर के नगर निगम मुख्यालय में आज महापौर एजाज ढेबर के कार्यकाल की अंतिम सामान्य सभा का आयोजन हुआ। सात महीने बाद आयोजित इस सामान्य सभा में काफी हंगामा हुआ, जिसमें महापौर परिषद (MIC) से लेकर नगर निगम के अधिकारी तक, पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के सवालों के घेरे में आए। इस सभा में 31 एजेंडों में से 28 एजेंडे पारित हुए, जबकि 2 एजेंडों को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया गया। विपक्ष ने इसे कांग्रेस के पिछले पांच वर्षों के कार्यकाल को जनता के प्रति असफलता से जोड़कर देखा।
आज सामान्य सभा का दूसरा दिन था। MIC द्वारा लाए गए एक प्रस्ताव पर विपक्ष ने आरोप लगाया कि नगर निगम ने भू-अभिलेख की शाखा पर अवैध कब्जा किया है। सड़क चौड़ीकरण के लिए तीन दुकानों का विस्थापन किया गया, लेकिन विपक्ष का कहना है कि 4 लाख की लागत से बनी दुकानों के लिए 19 लाख का टेंडर जारी हुआ, जबकि जमीन निगम की नहीं थी। इस मुद्दे पर विपक्ष ने महापौर पर दबाव डालकर टेंडर पारित करवाने का आरोप लगाया।
नरैया तालाब के सौंदर्यीकरण को लेकर भी विवाद हुआ। 2009 से अब तक करोड़ों खर्च करने के बाद, इस तालाब के लिए फिर से 10 करोड़ रुपए का प्रस्ताव लाया गया, जिससे सदन में हंगामा हुआ। विपक्ष ने पहले खर्च किए गए पैसों का पूरा हिसाब मांगा और सूखे तालाबों के सौंदर्यीकरण में जनता के पैसों की बर्बादी का आरोप लगाया।
साथ ही, निगम अधिकारियों पर मिलीभगत का भी आरोप लगाया गया। 23वें एजेंडे में कांजीहाउस की लीज़ अवधि समाप्त होने के बाद नई लीज़ का प्रस्ताव रखा गया, जिसे भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्षदों ने विरोध किया, और इसे सर्वसम्मति से खारिज कर दिया गया। अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठी, जिस पर सभापति और आयुक्त ने आश्वासन दिया।
इसके अलावा, 10 इलेक्ट्रिक बसों के मुद्दे पर भी बहस हुई। 2020 से 2023 के दौरान बसों के लिए निर्धारित 22 करोड़ रुपए का उपयोग नहीं हो सका, जिस पर विपक्ष ने सवाल उठाया। महापौर ने बताया कि विभिन्न एजेंसियों के कारण बसों का संचालन रुका हुआ है।
अमृत मिशन योजनाओं के केंद्रीकरण का भी विरोध हुआ। भाजपा और कांग्रेस दोनों के पार्षदों ने मुख्यालय के अधिकारियों पर सभी अधिकार रखने का आरोप लगाया। इसके साथ ही, पानी की समस्या और पुरानी टंकियों में कनेक्शन जोड़ने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई, और नगर निगम आयुक्त को समस्याओं के समाधान के लिए निर्देश दिए गए।