संवाद दाता
“संवाद दाता”
(हसदेव रक्षा के लिये मानव श्रृंखला, 10 मार्च दिन रविवार सुबह)
छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना का एक और लीक से हटकर अनूठा आंदोलन, दस मार्च की सुबह खारून नदी से विधानसभा तक
छत्तीस मूल प्रजाति के पौधे, महादेव में चढ़े छत्तीस जलपात्रों की बाईस किमी मानव हाथों की यात्रा से दिया जाएगा हसदेव बचाओ संदेश
छत्तीसगढ़ का श्वसन अंग कहलाने वाले हसदेव के जंगल को सरकार और उद्योगपति गठजोड़ बनाकर उजाड़ने की जिद में है । इसके लिये वे साम दाम दंड भेद हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं । दूसरी तरफ छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना, छत्तीसगढ़ के रहवासी और पर्यावरण के लिये कार्य कर रहे अनेक संगठन मिल कर हसदेव को बचा लेने की जद्दोजहद में हैं । पूर्व में हसदेव के ग्रामीणों ने हरिहरपुर से राजधानी तक पदयात्रा किया और बरसों से अनवरत धरने पर बैठे हैं । हाल ही में प्रेस वार्ताओं, पोस्टर वार और हजारों वाहनों के काफिले के साथ छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना, जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी एवं अन्य अनेक आंदोलनकारी संगठनो ने हसदेव पहुंच कर ग्रामवासियों को अपना समर्थन प्रदान किया । विनाश समर्थक सरकार ने सैकड़ों गिरफ्तारियां और दमन नीति चलाकर आंदोलन को विफल करने की कोशिशें की लेकिन आंदोलन सफल रहा । अडानी कंपनी के आरा मशीनों को उस समय फिर गोदामों में भेजना पड़ा लेकिन अभी फिर से वे लोग सरकार के संरक्षण में अपने आरियों में धार लगाने में जुट गये हैं ।
क्रान्ति सेना के नव प्रदेश अध्यक्ष डॉ अजय यादव ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि इस बार का विरोध प्रदर्शन 10 मार्च को सुबह 9 बजे से राजधानी रायपुर में होगा । “हसदेव गोहार” नामक इस आंदोलन में गूंगे-बहरे जनप्रतिनिधियों को हर हाल में जगाने के लिये एक अनूठा प्रयोग किया जा रहा है । छत्तीसगढ़ की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझने वाले लगभग पचास हजार आम नागरिक इस आंदोलन में बाईस किलोमीटर की मानव श्रृंखला बनाकर खड़े होंगे । यह ह्युमन चेन अद्वितीय इस तरह से होगा कि इसमें छत्तीसगढ़ के मूल छत्तीस प्रकार के वृक्षों के पौधे मानव श्रृंखला में खड़े लोगों के एक हाथ से दूसरे हाथ में हस्तांतरित होते हुए खारुन नदी के तट से विधानसभा भवन बरौदा तक पहुचेंगे । उसके पीछे-पीछे छत्तीस पात्रों में जीवनदायिनी खारुन नदी का जल पहले महादेव घाट मंदिर के प्राचीन महादेव में अर्पित करके चढ़े हुए जल को भी पचास हजार हाथों से गुजार कर विधानसभा भवन के सामने भाठा में ले जाया जाएगा । वहाँ छत्तीसगढ़ के बुजुर्गों एवं नौनिहालों के हाथों पौधे रोपे जाएंगे एवं खारून के जल से सींचे जाएंगे ।
रास्ते भर खड़े लोग हसदेव बचाओ विषय के पोस्टर लिये खड़े रहेंगे । यह शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रदर्शन एक विश्व रिकार्ड बना सकता है जिससे पूरे विश्व के संवेदनशील पर्यावरण प्रेमियों का ध्यान छत्तीसगढ़ की ओर आकर्षित होगा और अमेजन वनों की तरह हसदेव भी एक वैश्विक आंदोलन बनेगा । हमारे प्यारे जीवनदाता हसदेव जंगल को उजड़ने से हम और आप मिलकर बचा सकते हैं ।
क्रान्ति सेना के प्रदेश संयोजक गिरधर साहू ने छत्तीसगढ़ प्रदेश एवं संपूर्ण भारत के आमजनों, सामाजिक/राजनैतिक संगठनों, पर्यावरण रक्षक संस्थाओं, एनजीओ, साहित्यकारों, कलाकारों, पत्रकारों, धर्म प्रेमियों, छात्रों, नौकरी पेशा लोगों, किसानों, मजदूरों, प्रबुद्धजनों से मार्मिक आह्वान करते हुए कहा कि आप सभी अपने घर-परिवार सहित दस मार्च को आयोजित इस महाआंदोलन में शामिल होकर हसदेव और छत्तीसगढ़ को विनाशकारियों से बचा लीजिये । नहीं तो हमारी आने वाली पीढ़ीयां हमें कभी माफ नहीं करेंगी । आंदोलन में भागीदारी निभाने वाले सहयोगी संगठन अपने संगठनों के बैनर/झंडे लगा सकते हैं ।