जंगल सफारी के अनुपयोगी वाहनों की नीलामी पर सवाल: नियमों की अनदेखी का आरोप

रायपुर। वन विभाग द्वारा जंगल सफारी के अनुपयोगी वाहनों की नीलामी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है। आरोप है कि नीलामी में नियमों का पालन नहीं किया गया और वाहनों को कम कीमत पर बेच दिया गया। 25 नवंबर और 2 दिसंबर 2024 को नीलामी आयोजित की गई थी, जिसमें 2017 मॉडल तक की एसी और नॉन-एसी बसों सहित अन्य वाहन शामिल थे। इनकी नीलामी राशि मात्र 60 हजार रुपये तक रही, जो वाहनों की स्थिति और संभावित मूल्य के मुकाबले काफी कम मानी जा रही है।

नीलामी में शामिल वाहनों की हालत और उनकी कम कीमत को लेकर सवाल उठे हैं। इनमें से कई वाहन कम किलोमीटर चले थे। उदाहरण के लिए, 2016 मॉडल की एक बस केवल 56,000 किलोमीटर चली थी, जबकि नियमों के अनुसार डीजल वाहन का न्यूनतम संचालन 1,80,000 किलोमीटर होना चाहिए। इसके अलावा, वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट और मैकेनिकल मूल्यांकन भी सवालों के घेरे में है। आरटीओ के नियमों के अनुसार, वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट 10-15 साल तक वैध होता है।

सूत्रों के अनुसार, यदि इन वाहनों की मरम्मत पर ध्यान दिया जाता, तो इन्हें 80 हजार से 1 लाख रुपये में बेहतर स्थिति में लाया जा सकता था। इससे न केवल नए वाहनों की आवश्यकता कम होती, बल्कि नीलामी से बेहतर राजस्व भी प्राप्त हो सकता था।

जंगल सफारी में वाहनों का संचालन निजी कंपनियों को सौंपने की योजना भी विवाद का कारण बनी हुई है। कर्मचारियों ने 29 नवंबर को इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया। अधिकारियों ने कहा कि यह निर्णय सफारी संचालन को बेहतर बनाने के लिए लिया गया है और कर्मचारियों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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