ग्रामीणों के अनुसार, इस इलाके में नक्सलियों और पुलिस के बीच हुई पहली मुठभेड़

कांकेर: केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद के पूरी तरह खात्मे का लक्ष्य तय किया है। इस दिशा में बस्तर क्षेत्र में लगातार एंटी नक्सल ऑपरेशन जारी हैं। अब तक बस्तर संभाग में 207 नक्सली मारे जा चुके हैं, जबकि कांकेर जिले में मुठभेड़ों के दौरान 40 नक्सलियों का खात्मा हुआ है। कांकेर जिले के ताड़वयली क्षेत्र में बड़ी मुठभेड़ें हुई हैं। यह वही इलाका है, जहां 90 के दशक में नक्सलियों ने बस्तर संभाग में अपनी पहली दस्तक दी थी।

ताड़वयली गांव महाराष्ट्र सीमा के निकट स्थित है और कहा जाता है कि नक्सली इसी इलाके से बस्तर में सक्रिय हुए थे। नक्सली लीडर गणपति की मौत के बाद, उन्होंने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा पर एक स्मारक भी बनाया था, जिसे सुरक्षाबलों ने ध्वस्त कर दिया। हालांकि, उसके अवशेष अभी भी उस स्थान पर मौजूद हैं।

ग्रामीणों के अनुसार, इस इलाके में नक्सलियों और पुलिस के बीच पहली मुठभेड़ हुई थी, जिसके बाद से नक्सलियों की सक्रियता बढ़ने लगी। घने जंगल और छत्तीसगढ़-महाराष्ट्र की सीमा से सटे होने के कारण नक्सलियों ने अबूझमाड़ को अपना मजबूत गढ़ बना लिया।

सुरक्षाबलों की कड़ी सक्रियता के बावजूद, इस क्षेत्र में नक्सली गतिविधियां अभी भी जारी हैं। इस वजह से सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच समय-समय पर मुठभेड़ होती रहती है।

संवाददाता – बीना बाघ

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