रायपुर(Raipur) छत्तीसगढ़ के समग्र विकास में कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) एक अहम भूमिका निभा सकता है, लेकिन कंपनी अधिनियम 2013 के तहत सीएसआर निधि के आवंटन के लिए कोई निर्धारित नीति नहीं है। इस कारण राज्य के कई पिछड़े और आदिवासी जिलों में विकास कार्यों का क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है।
लोकसभा में रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल के सवाल पर कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने यह जानकारी दी। अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार हेतु सीएसआर राशि के जिलेवार खर्च की जानकारी मांगी थी।
रायपुर और रायगढ़ में सीएसआर फंड का असमान वितरण
मंत्रालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार:
रायपुर में वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान 89.36 करोड़ रुपए खर्च किए गए। यह राशि पिछले वर्षों के मुकाबले निम्नलिखित रही:
2018-19: 20.38 करोड़
2019-20: 103.58 करोड़
2020-21: 90.80 करोड़
2021-22: 79.26 करोड़
रायगढ़ में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 273.34 करोड़ रुपएखर्च हुए, जो पिछले वर्ष 21.05 करोड़ रुपए के मुकाबले 1298 प्रतिशत अधिक है। यह राशि इससे पहले के वर्षों में:
2018-19: 1.18 करोड़
2019-20: 5.35 करोड़
2020-21: 6.19 करोड़
जशपुर और अन्य पिछड़े जिलों में स्थिति चिंताजनक
जशपुर में 2022-23 के दौरान केवल 27 लाख रुपए खर्च किए गए, जबकि यह राशि 2021-22 में 2.31 करोड़ और 2020-21 में 1.4 करोड़ रुपए थी।
नारायणपुर, बीजापुर, बलरामपुर समेत कई जिलों में सीएसआर निधि का खर्च शून्य है।
सीएसआर नीति की पारदर्शिता और समीक्षा
कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि कंपनियां अपनी नीतियों और प्राथमिकताओं के अनुसार सीएसआर कार्यों का क्रियान्वयन करती हैं। मंत्रालय ने इसके खर्च की समीक्षा हेतु कोई विशिष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। हालांकि, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त तंत्र उपलब्ध है।
सांसद का आग्रह: पिछड़े जिलों पर दें विशेष ध्यान
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि सीएसआर के तहत छत्तीसगढ़ में किए गए विकास कार्यों से सामाजिक और आर्थिक विकास को गति मिलेगी। उन्होंने औद्योगिक इकाइयों से आग्रह किया कि वे शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेषकर पिछड़े और आदिवासी इलाकों में अधिक ध्यान दें।
देशभर में सीएसआर फंड का व्यय
वर्ष 2022-23 में देशभर में सीएसआर मद से कुल 25,892 करोड़ रुपए खर्च किए गए। प्रमुख कंपनियों का योगदान इस प्रकार रहा:
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड : 251.23 करोड़
भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड : 107.57 करोड़
एनटीपीसी : 319.98 करोड़
नाल्को : 38.36 करोड़
कोल इंडिया लिमिटेड : 41.70 करोड़
संवाददाता – बीना बाघ