कोलकाता. पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर्स ने बुधवार को राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार उन्हें 27 सितंबर को आयोजित होने वाले कार्यक्रम की अनुमति नहीं दे रही है। “पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट” के सदस्यों का आरोप है कि पहले सरकार ने इस कार्यक्रम की अनुमति दी थी, लेकिन अब बिना कोई स्पष्ट कारण बताए, अनुमति रद्द कर दी गई है। इस बैठक में डॉक्टर्स, आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई एक महिला जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में न्याय की मांग और उनके आंदोलन की आगामी रणनीति पर चर्चा करना चाहते थे। पिछली घटनाओं का संदर्भडॉक्टर्स ने पहले भी इस घटना को लेकर प्रदर्शन किया था, लेकिन पिछले सप्ताह उन्होंने अपना धरना अस्थायी रूप से वापस ले लिया था। यह निर्णय राज्य सरकार के साथ चर्चा के बाद लिया गया था, जिसमें डॉक्टर्स ने आपातकालीन और जरूरी सेवाओं को बहाल करने पर सहमति जताई थी। हालांकि, बुधवार को 26 सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक के बाद डॉक्टरों ने दावा किया कि उनके आंदोलन का समर्थन करने वालों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। सरकार पर बदले की भावना का आरोपडॉक्टर अनिकेत महतो ने इस मामले पर कहा, “हमने हड़ताल करने का इरादा जाहिर किया था, इसके बावजूद सरकार की ओर से बदले की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। घटना को एक महीने से भी ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन अब तक हमारी सहकर्मी बहन के दुष्कर्म और हत्या की जांच में कोई ठोस प्रगति नहीं दिख रही है।” उनका यह बयान सरकार पर आंदोलनकारियों को दबाने और जांच प्रक्रिया में देरी के आरोपों की पुष्टि करता है। सीबीआई जांच और सुप्रीम कोर्ट का संज्ञानयह उल्लेखनीय है कि 9 अगस्त को कोलकाता के आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला जूनियर डॉक्टर का शव संदिग्ध अवस्था में पाया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि हुई थी और पीड़िता के शरीर पर कई आंतरिक और बाहरी चोटों के निशान मिले थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंपी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए ममता बनर्जी की सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी और निष्पक्ष जांच का आदेश दिया था। इस घटना के विरोध में कोलकाता ही नहीं, बल्कि पूरे देशभर के डॉक्टरों ने आंदोलन और हड़ताल शुरू कर दी थी। आंदोलन की दिशा और भविष्यडॉक्टर्स की यह मांग है कि पीड़िता को जल्द से जल्द न्याय मिले और दोषियों को सख्त सजा दी जाए। आंदोलनकारियों ने सरकार पर बार-बार यह आरोप लगाया है कि वे न्याय प्रक्रिया में रुकावट डाल रही है और आंदोलनकारियों को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है। फिलहाल, डॉक्टर्स अपने आंदोलन की नई रूपरेखा तैयार कर रहे हैं और सरकार के रवैये को लेकर आक्रोशित हैं।