रायपुर(Raipur) मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अपने बचपन के आदरणीय शिक्षक, राजेश्वर पाठक से मुलाकात एक अत्यंत भावुक और प्रेरणादायक घटना रही। इस मुलाकात में मुख्यमंत्री साय अपने बचपन के स्कूली दिनों को याद करते हुए भावविभोर हो गए। जैसे ही उन्होंने अपने शिक्षक को देखा, उन्होंने तुरंत उनके चरण स्पर्श कर अभिवादन किया और अपना कृतज्ञता भाव प्रकट किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अपने गुरु को शाल और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया, जो भारतीय परंपरा में सम्मान और आदर का प्रतीक माने जाते हैं।मुख्यमंत्री साय ने भावुकता से अपने शिक्षक के प्रति गहरा सम्मान प्रकट करते हुए कहा, “गुरुजनों का आशीर्वाद ही वह शक्ति है जिसने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया है।” उन्होंने कहा कि गुरु के बिना जीवन में सफलता की राह आसान नहीं होती, और जो भी मैंने आज तक प्राप्त किया है, वह मेरे शिक्षकों के मार्गदर्शन और आशीर्वाद के कारण ही संभव हुआ है। इस दौरान, उन्होंने फिर से अपने शिक्षक से आशीर्वाद प्राप्त किया और उनके शिक्षक ने भी पूरे हृदय से उन्हें सफलता और समृद्धि के लिए शुभकामनाएँ दीं।मुख्यमंत्री के 94 वर्षीय शिक्षक, राजेश्वर पाठक, जो लोयला उच्चतर माध्यमिक शाला, कुनकुरी में अध्यापन करते थे, ने भी इस मुलाकात के दौरान अपने छात्र विष्णुदेव साय के बारे में पुरानी यादें साझा कीं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री साय बचपन से ही अत्यंत प्रतिभावान, अनुशासित और विनम्र स्वभाव के छात्र थे। उनके व्यक्तित्व की सरलता और सौम्यता ने उन्हें हमेशा से विशिष्ट बना रखा था। श्री पाठक ने गर्व के साथ बताया कि साय की आज भी वही सरलता और विनम्रता बरकरार है, जो उन्होंने बचपन में अपने छात्र के रूप में देखी थी। सांसद रहते हुए भी और अब मुख्यमंत्री बनने के बाद भी, साय का अपने गुरुओं के प्रति यही आदर और सम्मान का भाव कायम है, जो वास्तव में अत्यंत प्रेरणादायक है।यह मुलाकात न केवल एक छात्र और उसके शिक्षक के संबंधों की मिसाल है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने जीवन में शिक्षकों के महत्व को समझते हैं। शिक्षक का आशीर्वाद और मार्गदर्शन किसी भी व्यक्ति के जीवन में एक मजबूत नींव की तरह होता है, जो उसे जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता है।