रायपुर(Raipur)के शारदा चौक पर आज गणपति विसर्जन की भव्य झांकी का आयोजन हुआ, जिसमें भक्तों की भारी भीड़ ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। यह आयोजन शहर में भक्ति और उत्साह का एक अद्भुत मिश्रण था। भक्तों ने गणपति बप्पा को विदाई देते हुए पूरे शहर में खुशी और उल्लास का माहौल उत्पन्न किया।
झांकी का उत्सवी रंग:शारदा चौक से निकली झांकी में धूमधाम और भव्यता का भरपूर प्रदर्शन देखा गया। ढोल-नगाड़ों और बैंड-बाजों की धुनों पर श्रद्धालुओं ने नृत्य किया और “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारे गूंजते रहे। इस बार, झांकी में पर्यावरण के प्रति जागरूकता को ध्यान में रखते हुए इको-फ्रेंडली गणपति मूर्तियों का विशेष स्थान रहा, जो जल में विसर्जित होने के बाद प्रदूषण नहीं फैलातीं।
सुरक्षा और यातायात व्यवस्था:झांकी के आयोजन के दौरान सुरक्षा और यातायात व्यवस्था के लिए पुलिस प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए थे। शारदा चौक और उसके आसपास के इलाकों में विशेष पुलिस दल तैनात किया गया था, ताकि किसी भी प्रकार की असुविधा न हो। यातायात को व्यवस्थित रखने के लिए आमापरा और आश्रम के पास से रोड डिवाइड किया गया था, और पुलिस ने झांकियों की सुरक्षा सुनिश्चित की। विभिन्न समितियों द्वारा झांकियां:-
इंडियन क्लब रामकुंड द्वारा प्रस्तुत दुर्गामासुर वध झांकी और महावीर मित्र मंडल चंगौरा भाटा द्वारा राम दरबार की झांकी ने धार्मिक श्रद्धा को प्रदर्शित किया।-
विद्यार्थी गणेशोत्सव समिति हांडी पारा ने कृषि के क्षेत्र में युवा पीढ़ी की भूमिका को दर्शाते हुए झांकी पेश की।
कृष्ण बाल समाज गणेश उत्सव समिति गोवर्धन चौक ने सृष्टि रचना से लेकर अंत तक का चित्रण किया।- श्री हनुमान मंदिर छत्तीसगढ़ युवा गणेशोत्सव समिति ने रामजी की पुष्पक विमान यात्रा को दर्शाया।- श्री पुर शक्ति गणेशोत्सव समिति ने गणेश और शिव लिंग पर जल चढ़ाने की झांकी प्रस्तुत की।-
अरविनायक परिवार द्वारा शिव पूजा और महांकाल मिन्न मंडल गणेश उत्सव समिति ने त्रिपुरासुर वध की झांकी पेश की।- फूलचौक गणेश उत्सव समिति ने राम दरबार की झांकी
टटायापारा ने गरुड़ की प्रतिमा का प्रदर्शन किया। स्थानीय लोगों की भागीदारी:स्थानीय निवासियों ने झांकी की भव्यता की सराहना की और बताया कि यह आयोजन हर साल उनके लिए विशेष होता है।
शारदा चौक पर बने मंडप में गणपति की आरती और पूजा भी की गई, जिसमें सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। भविष्य के लिए संदेश:इस साल, पर्यावरण के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देते हुए, अधिकतर मूर्तियां मिट्टी की बनी थीं, जो जल में विसर्जन के बाद पानी को प्रदूषित नहीं करतीं। भक्तों ने गणपति बप्पा से शांति और समृद्धि की कामना की, और यह झांकी उनकी आस्था और उत्साह का प्रमाण बनी।