अमेरिका में इन दिनों राष्ट्रपति चुनाव का माहौल तेज़ हो रहा है, जहां डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच तीखी सियासी टक्कर देखी जा रही है। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स दोनों पक्षों के बीच कांटे की लड़ाई चल रही है। इसी बीच, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अमेरिका के डेलावेयर पहुंचे हैं। इस शिखर सम्मेलन की मेज़बानी राष्ट्रपति जो बाइडेन कर रहे हैं। वहीं, खबरें हैं कि ट्रंप मोदी से मिलने के लिए उत्सुक हैं और कमला हैरिस भी न्यूयॉर्क में उनसे मुलाकात कर सकती हैं।क्वाड सम्मेलन की टाइमिंग ऐसे समय में है जब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का तापमान अपने चरम पर है। यह सम्मेलन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान शामिल हैं, जो अक्सर चीन को चिंतित करते रहे हैं। चुनावी माहौल में इन चार देशों के राष्ट्राध्यक्षों का अमेरिका पहुंचना और विभिन्न राजनीतिक व आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करना दिलचस्प हो गया है।सवाल यह है कि इन नेताओं के अमेरिका आने से राष्ट्रपति चुनाव पर क्या असर पड़ेगा? क्या प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप को फायदा पहुंचाएगी या डेमोक्रेट कमला हैरिस को? प्रधानमंत्री मोदी के हालिया विदेश दौरे को देखते हुए और अमेरिका में चुनावी गणित का आकलन करते हुए यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि उनका प्रभाव किसी न किसी रूप में चुनाव पर असर डाल सकता है।वर्तमान में कुछ राज्यों के सर्वे में कमला हैरिस ट्रंप से आगे हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर दोनों के बीच कड़ा मुकाबला है। वहीं, कई राज्यों में ट्रंप भी आगे चल रहे हैं, जिससे चुनावी नतीजे अभी अनिश्चित दिख रहे हैं।ट्रंप और मोदी की दोस्ती के बारे में अक्सर चर्चा होती है, लेकिन ट्रंप जितना भारत समर्थक होने का दावा करते हैं, उतना उनका कार्यकाल भारत के प्रति सकारात्मक नहीं रहा। दूसरी ओर, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भारत के आंतरिक मामलों पर कड़ी टिप्पणियां की हैं, खासकर मानवाधिकार और लोकतंत्र के मुद्दों पर। हालांकि, उन्होंने जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों पर भारत-अमेरिका के सहयोग की भी वकालत की है।आने वाले दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में भारत और भारतीय-अमेरिकी समुदाय की क्या भूमिका रहती है। क्या मोदी के दौरे से चुनावी समीकरण बदलेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। वहीं, रूस-यूक्रेन युद्ध भी चुनावी बहस का एक अहम मुद्दा बना हुआ है, जिस पर ट्रंप और मोदी दोनों का रुख युद्ध को खत्म करने और शांति स्थापित करने का है।