भारतीय जनता पार्टी की सरकार छत्तीसगढ़ के संसाधनों और सार्वजनिक उपक्रमों पर नजर गड़ाए हुए है-सुरेंद्र वर्मा

रायपुर। फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड (एफएसएनएल) की भिलाई यूनिट को बेचे जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार छत्तीसगढ़ के संसाधनों और सार्वजनिक उपक्रमों पर नजर गड़ाए हुए है। उन्होंने बताया कि भाजपा के तमाम नेता और केंद्रीय मंत्री छत्तीसगढ़ आकर दावा करते हैं कि राज्य के सरकारी उपक्रम बेचे नहीं जाएंगे, जबकि हकीकत इसके विपरीत है। हाल ही में निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने सोशल मीडिया पर जानकारी साझा की कि भिलाई स्थित एफएसएनएल को मात्र 320 करोड़ रुपये में बेच दिया गया है।

गौरतलब है कि फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड हमेशा मुनाफा देने वाला उपक्रम रहा है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ही कंपनी ने 22 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्ध लाभ कमाया, जबकि पिछले साल 65 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था। इसके बावजूद, यह मुनाफे वाली कंपनी कम कीमत पर बेची गई, जो कि चिंता का विषय है।

सुरेंद्र वर्मा ने आगे कहा कि कुछ ही समय पहले केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमार स्वामी छत्तीसगढ़ दौरे पर आए थे और उन्होंने दावा किया था कि केंद्र सरकार राज्य के सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने की कोई योजना नहीं बना रही है। लेकिन उनकी इस बात के विपरीत, अब यह सामने आ चुका है कि भिलाई की एफएसएनएल यूनिट को औने-पौने दामों में बेच दिया गया है। वहीं, एनएमडीसी के नगरनार प्लांट को भी बेचने की प्रक्रिया जारी है, जो दीपम की वेबसाइट पर देखा जा सकता है।

वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार का उद्देश्य केवल अपने कुछ बड़े उद्योगपति मित्रों के हित साधना है, और इसके चलते छत्तीसगढ़ के हितों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, तो बाल्को को सस्ते दामों पर बेचा गया। रमन सिंह की सरकार के दौरान आदिवासियों की धार्मिक स्थली नंदराज पहाड़ और लौह अयस्क के खदान अडानी समूह को सौंपे गए। इसके साथ ही, केंद्र की भाजपा सरकार ने वन भूमि में खनन के लिए नियमों में बदलाव कर आदिवासियों की जल, जंगल और जमीन के अधिकारों को कमजोर किया है।

वर्मा ने यह भी कहा कि अब फेरो स्क्रैप निगम लिमिटेड के बाद एनएमडीसी के नगरनार प्लांट की बारी है, जिसे बेचने की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है।

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