दुर्ग(Durg) आत्मानंद स्कूल खमरिया में विवादजिला कलेक्टर दुर्ग ने जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद मिश्रा से आत्मानंद स्कूल खमरिया (जुनवानी) की प्राचार्या वंदना गुप्ता की नियुक्ति और उनसे जुड़े मामलों की जांच का आदेश दिया है। हाल के दिनों में प्रकाशित समाचारों के अनुसार, प्राचार्या पर मातहत शिक्षकों और संदेहित पालकों के बच्चों के प्रति प्रताड़ना के आरोप लग रहे हैं।
वंदना गुप्ता की पृष्ठभूमि
वंदना गुप्ता, जो पिछले 10 वर्षों तक निलंबित रहीं, को नियमों के विरुद्ध प्राचार्य पद पर पदोन्नत किया गया था। इससे पहले की जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि उनकी पदोन्नति के पीछे कई विवादास्पद कारण हैं। हाल ही में आयोजित पहले पालक शिक्षक मेगा बैठक में, प्राचार्या ने अपने ही शिक्षकों के खिलाफ शिकायतें कीं, जिससे उनके संबंधों में और भी तनाव उत्पन्न हुआ है। स्कूल
संचालन में अनियमितताएँ
स्कूल का संचालन शासन के नियमों के विरुद्ध चल रहा है। प्राचार्या ने निर्धारित समय के अनुसार, प्रातः 7:00 से 2:00 और द्वितीय पाली 11:30 से शाम 6:00 तक विद्यालय को संचालित करने का आदेश दिया है। इसके अलावा, शासन के निर्देशों के अनुसार, प्रभारी प्राचार्य को प्रतिदिन स्कूल में दो से तीन कक्षाओं का अध्यापन करना अनिवार्य है।
शिक्षकों की कमी के बावजूद, प्राचार्या ने अब तक कोई कक्षा नहीं ली है और शिक्षकों के अध्यापन समय सारणी को भी गलत तरीके से बनाया गया है। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा सूक्ष्म जांच का अभाव भी देखा गया है।
पालकों की शिकायतें
पालकों ने यह भी शिकायत की है कि स्कूल में मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता और मेनू के अनुसार भोजन नहीं बनाया जा रहा है। प्राचार्या की उपस्थिति की कमी के कारण, जब तक वे कार्यालय आती हैं, भोजन तैयार हो चुका होता है। विभाग के निर्देशों के अनुसार, बच्चों को भोजन परोसने से पहले प्राचार्य को उसे चखना होता है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।परीक्षाओं के दौरान, प्राचार्या ने बजट की कमी का बहाना बनाकर विद्यार्थियों को घर से उत्तर पुस्तिका लाने के लिए मजबूर किया है। बच्चे यह भी बताते हैं कि प्राचार्या यूनिट टेस्ट और तिमाही परीक्षा के महत्व को नकारते हुए उन्हें भ्रमित कर रही हैं।
प्रशासनिक अनियमितताएँ
प्रभारी प्राचार्या, अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए, सरकारी पत्र व्यवहार और सूचना पंजी संधारण का कार्य मिडिल स्कूल शिक्षक और हिंदी व्याख्याता के माध्यम से करवा रही हैं। इनका समर्थन प्राप्त होने के कारण, वे अपना विषय पढ़ाने के लिए अन्य विषय के शिक्षकों का सहारा लेती हैं, जिससे छात्र-छात्राओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
वरिष्ठ शिक्षकों का कहना है कि 10 वर्षों तक निलंबित रह चुकी प्राचार्या, वरिष्ठ शिक्षकों का वार्षिक मूल्यांकन कैसे कर सकती हैं? इस मामले में जिला कलेक्टर के आदेश पर उचित कार्रवाई की अपेक्षा की जा रही है।