रिपोर्टर :- कंचन यादव
रायपुर :- कल 7 जून को प्रदेश के सबसे बड़े विश्वविद्यालय रवि शंकर विश्वविद्यालय से दुर्भाग्यपूर्ण घटना सामने आया है जब छात्र विश्वविद्यालय में कुलपति से मिलने पहुंचा और वहां के सिक्योरिटी गार्ड ने छात्र की डंडे से पिटाई कर दी और पीड़ित छात्र ने न्याय की मांग करते हुए कुलपति से मिलने की गुहार लगाते हुए फांसी के फंदे को अपने गर्दन में डाल दिया।
आपको बता दे की रविवि में आने वाले छात्र भोजराज चौहान रविशंकर विश्वविद्यालय में 20 मई को एलएलबी के परीक्षा में हुए त्रुटि के संबंध में ज्ञापन सौंपने पहुंचा था, कल 7 जून को जब भोजराज ज्ञापन सौंपे गए ज्ञापन के बारे में जानकारी प्राप्त करने पहुंची तो विश्वविद्यालय में उपस्थित सिक्योरिटी गार्ड, जिसका नाम बृजेश पांडे बताया जा रहा है, ने बताया कि उन्होंने भोजराज चौहान को कहा कि अनुपालन किसी से नहीं मिलता तुम्हें अंदर नहीं जाना है और उन्हें चैनल गेट के बाहर धकेलते हुए दिया जब भोजराज चौहान ने इसका विरोध किया तो सिक्योरिटी गार्ड ने भोजराज चौहान को मां बहन की भद्दी गालियां देने लगा और तमाचा के साथ डंडे से भी वार कर दिया।
शांतनु झा ने आगे बताया की जब लगभग शाम के 4:30 बजे गए और कुलपति भोजन का बहाना बनाकर पीड़ित छात्र से मिलने नही पहुंच रहे थे तो पीड़ित छात्र अपने आप को अपमानित महसूस करते हुए कुलपति सचिवालय के बाहर फांसी के फंदे पर पर लटकने को तैयार हो गया जिस पर एनएसयूआई रायपुर जिला अध्यक्ष शांतनु झा ने बीच बचाव करते हुए कुलपति को जल्द से जल्द मुलाकात करने के लिए दबाव बनाया तत्पश्चात पुलिस की भारी फोर्स और सुरक्षा के बीच में कुलपति सच्चिदानंद शुक्ला पीड़ित छात्रा और एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए राजी हुए और पीड़ित छात्रा की समस्या सुनी,छात्र नेताओं के भारी दबाव की वजह से उक्त गार्ड को रविवि के सुरक्षा व्यवस्था से हटाने का आदेश जारी किया गया इसके पश्चात छात्र नेताओं एवं पीड़ित भोजराज चौहान ने अपने धरना प्रदर्शन समाप्त किया।
शांतनु झा चर्चा करते हुए कहा कि भाजपा की सरकार में आम छात्र अब सुरक्षित नहीं रह गया कुलपति से मिलने के लिए पीड़ित छात्रों को फांसी के फंदे में लटकाने की नौबत आ गई है अगर छात्रों के साथ इसी तरह का दुर्व्यवहार होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब कोई छात्र फांसी के फंदे में लटक जाएगा और उसे बचाने वाला कोई नहीं होगा इस घटना की जितनी निंदा की जाए कम है और भविष्य में इस तरह की कोई भी अप्रिय घटना ना हो इसका ध्यान भी विश्वविद्यालय प्रशासन को रखना चाहिए।