चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता: नियम और उल्लंघन पर सजा

चुनाव के दौरान हर उम्मीदवार और राजनीतिक दल को आदर्श आचार संहिता का पालन करना अनिवार्य होता है। यह आचार संहिता चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित होती है और इसके उल्लंघन पर कार्रवाई की जाती है। वर्तमान में महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव के मद्देनजर यह लागू है।

आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन
यदि कोई उम्मीदवार या दल आचार संहिता का उल्लंघन करता है, तो चुनाव आयोग की हेल्पलाइन 1095 पर शिकायत दर्ज की जा सकती है। आयोग का दावा है कि 100 मिनट के भीतर इस पर कार्रवाई होगी।

आचार संहिता का उल्लंघन करने पर सजा

  1. चेतावनी और नोटिस
    आचार संहिता के उल्लंघन की पहली प्रतिक्रिया चेतावनी या नोटिस होती है। चुनाव आयोग संबंधित व्यक्ति या दल को सुधार का अवसर प्रदान करता है।
  2. चुनाव प्रचार पर प्रतिबंध
    गंभीर उल्लंघन की स्थिति में उम्मीदवार या दल पर चुनाव प्रचार करने से रोक लगा दी जाती है। यह प्रतिबंध कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक लागू हो सकता है।
  3. चुनावी नामांकन रद्द
    अगर उम्मीदवार ने गंभीर उल्लंघन किया, जैसे मतदाताओं को रिश्वत देना या अवैध गतिविधियों में लिप्त होना, तो उसका चुनावी नामांकन रद्द किया जा सकता है।
  4. जुर्माना और दंड
    चुनाव आयोग उल्लंघन की गंभीरता के अनुसार जुर्माना या वित्तीय दंड भी लगा सकता है।
  5. जेल की सजा
    अगर आचार संहिता का उल्लंघन हिंसा या भड़काऊ भाषण जैसे गंभीर मामलों से जुड़ा हो, तो आरोपी को 2 साल तक की जेल हो सकती है।

आचार संहिता का पालन क्यों आवश्यक है?
आदर्श आचार संहिता चुनावों को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए लागू की जाती है। इसके माध्यम से मतदाताओं पर अनुचित दबाव और अनैतिक प्रभाव को रोका जाता है।

चुनाव आयोग के इन कड़े नियमों का उद्देश्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया की गरिमा को बनाए रखना है।

संवाददाता – बीना बाघ

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