पालतू मवेशियों में घातक दवाओं के उपयोग पर रोक लगाने के लिए पशुपालन विभाग का सहयोग

रायपुर(Raipur)15 नवंबर, 2024: नवा रायपुर स्थित अरण्य भवन में छत्तीसगढ़ वन विभाग द्वारा गिद्ध संरक्षण पर एक दिवसीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शोधकर्ता, छात्र और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित हुए, जहां गिद्ध संरक्षण के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा की गई। कार्यशाला में WWF, बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS), SACON, बर्ड काउंट इंडिया, और SAVE जैसे प्रतिष्ठित संगठनों के विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

कार्यक्रम में गिद्धों की घटती संख्या, उनके संरक्षण के उपायों और इसके लिए सकारात्मक वातावरण बनाने की जरूरत पर चर्चा की गई। शोधकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ में गिद्धों की गणना और उनके संरक्षण के प्रयासों से जुड़े आंकड़े प्रस्तुत किए। विशेष रूप से इंद्रावती और अचानकमार टाइगर रिजर्व में किए जा रहे गिद्ध संरक्षण कार्यों को सराहा गया, जैसे वल्चर रेस्टोरेंट और वल्चर सेफ जोन की पहलें।

मुख्य अतिथि प्रेम कुमार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव), ने गिद्ध संरक्षण के लिए वन विभाग द्वारा किए जा रहे कदमों की घोषणा की। उन्होंने नागरिकों को गिद्धों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं की बात की, जिनमें स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम और गिद्धों के पुनर्वास के प्रयास शामिल हैं। इसके अलावा, गिद्धों और अन्य वन्यजीवों के लिए घातक रसायनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए पशुपालन विभाग और ड्रग कंट्रोल विभाग के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा।

कार्यशाला में उपस्थित वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और पैनल विशेषज्ञों ने गिद्ध संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण सुझाव दिए और सभी प्रतिभागियों को इस क्षेत्र में सक्रिय योगदान देने के लिए प्रेरित किया।

संवाददाता – बीना बाघ

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