राजिम कुंभ : अद्वितीय साहित्यिक और आध्यात्मिक अनुभव

रायपुर। राजिम कुंभ का भव्य महोत्सव एक अद्वितीय साहित्यिक और आध्यात्मिक अनुभव है। बलौदाबाजार निवासी रीना वर्मा ने बताया कि 24 फरवरी से शुरू हुए राजिम कुंभ मेले का महाशिवरात्रि के साथ समापन होता है। इस महोत्सव में शुरुवात होती है त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में स्नान और दर्शन के साथ। यहां की प्राचीनता और पवित्रता ने इसे एक धार्मिक स्थल के रूप में विशेष महत्व दिया है। राजिम अपने राजीव लोचन मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जो कि भगवान श्रीराम के विराम स्थल के रूप में माना जाता है। यहां सीताजी ने भगवान शिव की स्थापना की और अपने ससुर दशरथ के पिंड़दान किया था। इसके कारण राजिम को धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का प्राप्त है।

हर वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर लाखों लोग इस स्थान पर आकर अपने आत्मिक और धार्मिक अनुभव को साझा करते हैं। राजिम कुंभ में एक अद्वितीय सांस्कृतिक और धार्मिक वातावरण होता है जो लोगों को आत्मा की शांति और आनंद का अनुभव कराता है। इस उत्सव के दौरान लोग भगवान के ध्यान में लगे रहते हैं, मंत्र जपते हैं और ध्यान में लीन होते हैं। इसके अलावा, साधु-संत और धार्मिक गुरुओं के सत्संग भी होते हैं जो लोगों को धार्मिक ज्ञान और आध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रेरित करते हैं।

महाशिवरात्रि की सुबह नागा साधुओं द्वारा शोभायात्रा में सुसज्जित पालकियों शाही बग्गी, घोड़ों में विभिन्न साधु-संत सवार थे। शोभायात्रा संत समागम से शुभारंभ होकर श्रीकुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर के पीछे मार्ग से नेहरू बाल उद्यान होते हुए, राजिम पुल, पं. सुंदरलाल शर्मा चौक, गौरवपथ राजिम, व्हीआईपी मार्ग होते हुए मेला में बने शाही कुंड में पहुंचे। शोभायात्रा का स्वागत दोनों शहर नवापारा और राजिम में विभिन्न चौक चौराहों में फूलमालाओं बरसा कर किया गया। शोभायात्रा में विभिन्न चौक में अनेकों अस्त्र-शस्त्रों से लैस नागा बाबाओं, साधु-संतों का शौर्य प्रदर्शन करते हुए अखाड़े चलाते रहे। नागा साधुओं के तलवार और फरसा भांजते खुशी से नाचते देखक मेले में आए अंचल वासी रोमांचित हो उठे। धीरे-धीरे आगे बढ़ता शोभायात्रा शाही कुंड के पास पहुंचा, जहां शस्त्र पूजन पश्चात सर्वप्रथम नागा बाबाओं ने कुंड में छलांग लगाई और शाही स्नान की प्रक्रिया पूरा की।

राजिम कुंभ का अनुभव एक साथ ही धार्मिक, सांस्कृतिक और आत्मिक उत्सव का संगम है, जो लोगों को एक नया दर्शनिक और सामाजिक अनुभव प्रदान करता है। यहां की प्राचीनता और पवित्रता ने इसे एक अद्वितीय स्थान बना दिया है जो हमें हमारे धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत की ओर प्रेरित करता है।

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