महतारी वंदन योजना: कुम्हार परिवार के जीवन में आत्मसम्मान और सशक्तिकरण का बना प्रतीक

रायपुर(Raipur) बलौदाबाजार जिले के ग्राम अर्जुनी में रहने वाली कुम्हार समाज से जुड़ी श्रीमती प्रमिला चक्रधारी और उनकी बहू श्रीमती लीना चक्रधारी के लिए महतारी वंदन योजना किसी वरदान से कम साबित नहीं हुई है। प्रमिला ने इस योजना से मिली आर्थिक सहायता का उपयोग मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए आवश्यक सामग्री खरीदने में किया, जबकि लीना ने इस राशि का उपयोग घर के खर्चों को बेहतर तरीके से संभालने में किया, जिससे परिवार की छोटी-मोटी जरूरतें पूरी हो सकीं। यह योजना न केवल आर्थिक मदद प्रदान कर रही है, बल्कि सास-बहू दोनों के जीवन में आत्मसम्मान और सशक्तिकरण का प्रतीक भी बन गई है।

प्रमिला के पति मालिक राम पारंपरिक कुम्हार का काम करते हैं, जो समय के साथ मिट्टी के बर्तन और अन्य सामान बनाते हैं। प्रमिला भी अपने पति के साथ इस काम में योगदान देती हैं। मिट्टी के बर्तन बनाने का यह हुनर उनके जीवन का मुख्य आधार है, लेकिन कई बार आर्थिक समस्याओं के कारण यह काम भी कठिन हो जाता है। उनके बेटे उमेश चक्रधारी मजदूरी करके परिवार की गाड़ी खींच रहे हैं, जबकि उनकी पत्नी लीना घरेलू कामकाज में व्यस्त रहती हैं। उमेश और लीना की शादी को अभी केवल दो साल हुए हैं, लेकिन यह परिवार पहले ही कई चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी राह बना रहा है। इन चुनौतियों को पार करने में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की महतारी वंदन योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इस योजना के तहत प्रमिला और लीना दोनों को आर्थिक सहायता प्राप्त हो रही है, जिससे उनके जीवन में नई उम्मीदें जाग उठी हैं। प्रमिला बताती हैं कि मुख्यमंत्री साय द्वारा महिलाओं के हित में शुरू की गई महतारी वंदन योजना ने उन्हें ऐसा सहारा दिया है जो पहले कभी नहीं मिला था। वह कहती हैं, “हम मेहनत तो हमेशा करते थे, लेकिन आर्थिक तंगी हमें अक्सर विवश कर देती थी। इस योजना से मिली राशि ने हमें अपने काम को और आगे बढ़ाने का अवसर दिया है।

“लीना भी उत्साह से कहती हैं कि इस सहायता से उनका छोटा परिवार अब और मजबूती से खड़ा हो पाया है। यह योजना उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ने का अवसर दे रही है। सास-बहू दोनों मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करती हैं कि इस योजना ने उन्हें न केवल आर्थिक सहायता दी है, बल्कि उन्हें सम्मान और आत्मसम्मान के साथ जीवन जीने की प्रेरणा भी दी है। आज उनका परिवार अपनी मेहनत और आत्मनिर्भरता के बल पर अपने भविष्य की नींव को और मजबूत कर रहा है।

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