सुप्रीम कोर्ट में तिरुपति लड्डू विवाद को लेकर दायर याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई, जिसमें न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को यह निर्देश दिया कि वे राज्य सरकार को जांच प्रक्रिया पर निर्णय लेने में सहायता प्रदान करें। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 3 अक्टूबर तय की है। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि सॉलिसिटर जनरल राज्य सरकार से निर्देश लें और यह तय करें कि क्या पहले से नियुक्त की गई एसआईटी (विशेष जांच दल) को जांच जारी रखने दी जाए या फिर किसी स्वतंत्र एजेंसी से इस मामले की जांच करवाई जाए।
इस मामले की जड़ में तिरुमाला के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के प्रसाद, प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू, में कथित रूप से पशु वसा के इस्तेमाल के आरोप हैं। याचिकाकर्ता ने इन आरोपों की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों को एक-दूसरे से अलग रखना जरूरी है, ताकि सांप्रदायिक सद्भाव बना रहे।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने कोर्ट में अपनी बात रखते हुए कहा कि वे इस मामले में एक भक्त के रूप में उपस्थित हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि लड्डू प्रसाद में संदूषण से संबंधित आरोपों का प्रेस में प्रकाशित होने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं और इससे कई अन्य संवेदनशील मुद्दे भी खड़े हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन आरोपों से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है और सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने का खतरा है। राव का तर्क था कि जब भगवान के प्रसाद पर कोई सवाल उठाया जाता है, तो उसकी गहराई से जांच अवश्य होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।
इस प्रकार, तिरुपति लड्डू विवाद का मामला केवल एक खाद्य मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि इससे धार्मिक आस्थाओं और सांप्रदायिक समरसता से जुड़े गंभीर पहलू भी जुड़े हुए हैं, जिन पर सर्वोच्च न्यायालय ने अपना ध्यान केंद्रित किया है।