रायपुर(Raipur) में “धरती आबा-जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान” के अंतर्गत वन अधिकार अधिनियम 2006 के बेहतर क्रियान्वयन पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। आदिम जाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विकास विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ इस अधिनियम के क्रियान्वयन में देश का अग्रणी राज्य है।
मुख्य बिंदु और उपलब्धियां
राज्य में अब तक 4,79,502 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र और 4,377 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र वितरित किए गए हैं।
2,081 सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समितियों का गठन किया गया है।
व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र धारकों के लिए नामांतरण और त्रुटि सुधार प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है।
कार्यशाला में हुई चर्चा
कार्यशाला में विभिन्न विषयों पर मंथन किया गया, जिनमें शामिल हैं:
1. डिजिटल प्रक्रियाओं का समावेश: वन अधिकारों के डिजिटलीकरण और ऑनलाइन प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना।
2. समन्वय और प्रबंधन: संबंधित विभागों और ग्राम सभाओं के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना।
3. सशक्तिकरण और आजीविका संवर्धन: वन अधिकार पत्र धारकों के लिए आजीविका के नए अवसर पैदा करना।
भविष्य की योजनाएं
एक टास्क फोर्स का गठन प्रस्तावित है, जो अधिनियम के प्रावधानों को प्रभावी रूप से लागू करने में सहायक होगा।
सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के क्रियान्वयन को और मजबूत किया जाएगा।
विशेषज्ञों के सुझाव
गंगाराम पैकरा (चौपाल संस्था): सामुदायिक दावों में त्रुटियों को दूर करने और एफआरए क्षेत्र में अनुभवी एनजीओ को मान्यता देने का सुझाव।
शरद लेले (एटीआरईई संस्था): सीएफआरआर के बाद के चरणों पर कार्य करने की आवश्यकता।
इंदु नेताम (आदिवासी समता मंच): व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार पत्रों में आने वाली व्यावहारिक समस्याओं के समाधान की बात।
धरती आबा अभियान का महत्व
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2024 को इस अभियान का शुभारंभ किया था, जिसमें 17 मंत्रालयों के सहयोग से 25 योजनाओं को जमीन पर उतारने का लक्ष्य है।
कार्यशाला में राज्य के विभिन्न विभागों के अधिकारियों, स्वयंसेवी संस्थाओं और सामुदायिक वन प्रबंधन समिति के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसे यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) का तकनीकी सहयोग मिला।
संवाददाता – बीना बाघ