समान संख्या में कापी चैक करने के बावजूद लोकल वैल्यूअर्स का बनता है कम बिल

  • वैल्यूएशन की रुचि कम हो रही
  • दूरदराज स्कूलों के शिक्षकों के लिए है फायदेमंद

रायपुर। माशिमं इस साल 1 दिन में हर वेलवर को 40 कॉपियां जांचते हुए किसी भी हालत में 14 अप्रैल तक मूल्यांकन को समाप्त करने के लिए प्रयास कर रहा है। वहीं वैल्यूएशन भी लोकल स्कूलों के शिक्षकों के लिए रुचिकर नहीं रह गया है। हर वेलवर की कॉपी जांचने की अलग क्षमता होती है। माध्यमिक शिक्षा मंडल का ऐसा दबाव वैल्यूएशन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। इसका खामियाजा रिजल्ट निकालने के बाद वेलवर को ही भुगतना पड़ता है।

     बोर्ड परीक्षा निपटने के बाद कापियों के वैल्यूएशन कार्य को सर्वाधिक महत्व दिया जाता है जिससे कि समय पर रिजल्ट घोषित किया जा सके। वैल्यूएशन में दूरदराज गांव में स्थित स्कूलों के शिक्षकों के साथ शहर के स्कूलों के लोकल व्याख्याताओं की ड्यूटी भी लगाई जाती है। लिहाजा इस वर्ष भी शहर के स्कूलों के संबंधित व्याख्याताओं को उनके स्कूलों से रिलीव कर वैल्यूएशन सेंटर में भेजे जाने के सख्त आदेश सप्ताह भर पहले ही आ चुके हैं। वैल्यूएशन कार्य में किसी तरह की बाधा ना हो। इस को ध्यान में रखते हुए प्राचार्य भी अपने स्कूलों के संबंधित व्याख्याताओं को रिलीव करने भी तैयार हैं। लेकिन पुराने अनुभव को देखते हुए इस वर्ष लोकल व्याख्याता वैल्यूएशन के मूड में नहीं है। यही कारण है कि वैल्यूएशन में अपेक्षित गति नहीं आ पा रही है। लोकल वैल्यूअर्स का कहना है कि महंगाई के दौर में एक कॉपी के पीछे 10 या ₹11 ही मिलता है। वहीं मुख्यालय से मूल्यांकन केंद्र तक आने-जाने के लिए दैनिक भत्ता कम ही दिया जाता है। इसके अलावा और कुछ नहीं मिलता है। इसीलिए वैल्यूएशन का कार्य फायदे का सौदा नहीं है। 

संख्या समान पर फायदे में रहते हैं दूसरे शिक्षक – ज्यादातर शिक्षक शहर में रहते हैं। जो गांवों के स्कूलों में रोजाना आना-जाना करते हैं। उनका मुख्यालय पद अंकित स्कूल को मानते हुए रोजाना की दूरी के हिसाब से आने-जाने का भत्ता दिया जाता है। साथ नाश्ता भोजन आदि के नाम पर अलग से भत्ता दिया जाता है। जिसकी वजह से मूल्यांकन कार्य के बाद ग्रामीण स्कूलों के शिक्षकों का अच्छा खासा बिल बन जाता है। समान संख्या में कापी चेक करने के बाद भी लोकल शिक्षकों का बिल कम बनता है। यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षक इसमें ज्यादा और लोकल शिक्षक कम रुचि लेते हैं।

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